यदुवंशी ननकू यादव
सतना त्रिस्तरीय पंचायतराज एवं नगरीय निकायों के आरक्षण की प्रक्रिया के साथ ही चुनावी गतिविधियां अब शुरू हो चुकी हैं। कांग्रेस ने भी अपनी चुनावी तैयारियां शुरू कर दी हैं। जो संकेत मिले हैं उसके अनुसार जल्द ही कांग्रेस जमीनी स्तर पर पंचायतवार स्थितियों की समीक्षा के लिए अपने मैदानी कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी देगी। उसकी रिपोर्ट तलब करेगी। दूसरी ओर सरकारी स्तर पर भी प्रयास शुरू किए जा रहे हैं। इसके तहत भूमिहीनों को पट्टा वितरण को लेकर सरकार गंभीर है और शासन स्तर से इस दिशा में जानकारी चाही जा रही है। दूसरी ओर अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति को आवंटित जमीनों पर उनके कब्जे को लेकर भी पूछपरख शुरू करने जा रही है।
सरकार ने भूमिहीनों को पट्टा वितरण के मामले में सभी निकायों से जानकारी तलब की है। इसमें पूर्व में किए गए सर्वे के आधार पर पात्र पाए गए लोगों को पट्टा वितरण की जानकारी चाही जा रही है, तो अन्य ऐसे भूमिहीनों को भी पट्टा वितरण के लिये निर्देश दिए जा रहे हैं जो पात्रता की श्रेणी में आ रहे हैं। राज्य स्तर पर लगातार पट्टा वितरण की समीक्षा हो रही है और शेष बचे पात्र लोगों को पट्टा वितरण करने संबंधी निर्देश जारी हो रहे हैं। इस संबंध में लगातार पत्राचार हो रहा है।
इधर, कब्जा दिलाने की कवायद
चुनाव से पहले यह जानकारी भी सामने आ रही कि राज्य सरकार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को आवंटित जमीनों का हिसाब किताब भी पता लगाने जा रही है। दरअसल सरकार को इस आशय की जानकारी मिली है कि काफी संख्या में एससी एसटी वर्ग के ऐसे हितग्राही हैं जिन्हें शासन की ओर से जमीन आवंटित तो की गई है लेकिन उनकी जमीनों पर अभी भी बाहुबलियों और दबंगों का कब्जा है। इससे हितग्राहियों को उनके हक का लाभ नहीं मिल पा रहा
एसटी हितग्राहियों को आवंटित जमीनों का भौतिक सत्यापन करने और जिन्हें कब्जा नहीं मिला है उन्हें कब्जा दिलाने के निर्देश जारी किये जा सकते हैं।
*जिला स्तर पर बनेगी समन्वय समिति*
प्रदेश स्तर पर कांग्रेस की समन्वय समिति बनने के बाद अब कांग्रेस पार्टी जल्द ही जिला स्तर पर समन्वयन समिति बनाने जा रही है। जिलास्तर पर काम न होने से कार्यकर्ताओं में पनप रहे आक्रोश और पदाधिकारियों की कार्यकर्ताओं के प्रति अनदेखी को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है। समन्वय समिति गठित करने के लिए जिलाध्यक्षों से संबंधित नाम लिये जाएंगे। हालांकि कांग्रेस के अंदर खाने में उहापोह की स्थिति बन रही कि अगर जिलाध्यक्ष ने अपनी चलानी शुरू कर दी तो एक बार फिर से मूल कांग्रेसी या जिलाध्यक्ष के करीबी न होने वालों को नुकसान पहुंचेगा।
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