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कोयलांचल में चोरी के कोयले से धधक रहे अवैध ईट भट्ठे

 


राजस्व एवं वन अमला की साठगांठ से संचालित है अवैध ईट भट्टे, स्थानीय पुलिस प्रशासन भी मौन


कोतमा - कोयलांचल क्षेत्र में अवैध ईंट-भट्टों का अवैध कारोबार कई वर्षो से संचालित हो रहा और प्रशासन की सह पर अवैध ईंट भट्ठे धधक रहे हैं ,मुख्य सड़क मार्गों के अगल बगल व रहवासी इलाकों में अवैध ईट भट्ठे चल रहे हैं ,राजस्व व वन विभाग की भूमि में अवैध रूप से उत्खनन कर ईट भट्टों  सज रहा है भालूमाड़ा,बाजार दफाई,केवई नदी,लाइन दफाई,जमुना रोड,कोतमा,लहसुई गांव,निगवानी,केशवाही रोड,बिजुरी,पौराधार,अामाडांड और राजनगर क्षेत्र में कई स्थानों पर  अवैध ईंट भट्टों का कारोबार बेखौफ जारी हैं।अवैध रूप से संचालित ईंट भट्टों को पकाने के लिए वन संपदा को भी नहीं छोड़ा जा रहा है ईंट पकाने में जम कर जंगल के पेड़ों को कत्ल कर जंगल को नष्ट करने में लगे हुए हैं और साथ ही साथ कोयलांचल क्षेत्र से अवैध कोयले का भी चोरी भारी मात्रा में ईट भाट्टो  के संचालकों एवं काले हीरे के कला कारोबारियों से गठजोड़ भी समय-समय पर देखने को मिला है जगह जगह अवैध कोयले का उत्खन व कंपनियों से चोरी कर ईट भट्टों पर लाकर एकत्रित किया जाता है और फिर कोयले की चोरी से ईट भट्टे पकाए जाते हैं।



पर्यावरण को हो रहा नुकसान-


ईंट भट्टा लगाने के लिए पहले पर्यावरण विभाग से अनुमति लेकर खनिज विभाग में आवेदन देना होता है। यहां से अनुमति मिलने के बाद बताए गए स्थान पर ईंट-भट्टा लगाया जाता है। जानकारी के अनुसार कुछ जगहों को छोड़कर भालूमाड़ा,कोतमा,निगावनी
,बिजुरी एवं राजनगर क्षेत्र में कही भी ईंट भट्टा लगाने की अनुमति स्थानीय एवं जिला प्रशासन से नहीं ली जाती है इसके बावजूद  धड़ल्ले से ईंट भट्टा का संचालन हो रहा है। दूसरी ओर ईंट भट्टों के कारण निकलने वाला जहरीला धुआं लोगों के स्वास्थ्य के लिए घातक साबित हो रहा है। जिससे आम नागरिक खासे परेशान है। भालूमाड़ा में कई स्थानों पर रिहायसी क्षेत्र में ईंट भट्टों का संचालन लंबे समय से जारी है जो पर्यावरण के साथ साथ लोगों के स्वास्थ्य के लिए घातक है।



वन भूमियों पर किसके इशारे से अवैध ईंट भट्ठे संचालित- 


वन परिक्षेत्र कोतमा अंतर्गत  लतार  चौकी कल्याणपुर बीट में वन भूमि में कई वर्षों से अवैध ईंट भट्ठे संचालित है ऐसा नहीं है कि वन विभाग के अधिकारियों को इसकी खबर नहीं है वन विभाग के अधिकारी व कर्मचारी अवैध ईट भट्ठों को संचालन करने वाले व्यक्तियों से पर व्यक्ति 5 से 10 हजार प्रतिवर्ष लिया जाता है और उसके एवज में उन्हें अवैध ईट भट्ठा वन भूमि पर लगाने व उत्खनन करने की मौखिक आदेश दे दिया जाता है सैकड़ों की संख्या में अवैध ईट भट्टे वन भूमि पर धधक देखे जा सकते हैं और वन विभाग के अधिकारी व कर्मचारी ऊपरी कमाई करने के चक्कर में वन संपदा को नष्ट करने की अनुमति भी आज प्रदान कर बैठे हैं।


जीवन दायिनी केवई नदी हो रही प्रदूषित-


कोयलांचल क्षेत्र की जीवन दा यिनी कहे जाने वाली केवई नदी के इर्द गिर्द वन एवं राजस्व भूमि पर चोरी-छिपे अवैध ईट भट्टा संचालित करने वाले व्यक्तियों द्वारा बड़े-बड़े मोटर लगाकर केवई नदी से पानी की सप्लाई कर ईट बनाए जाते हैं और जहरीला प्रदूषण केवई नदी में छोड़ दिया जाता है।जमुडी रपटा, लाहसुई गांव,लाइन दफाई,केवई नदी बड़ी पुल भालूमाड़ा में अवैध ईट भट्ठे वन भूमि पर संचालित है वन विभाग के बीट गार्ड व अधिकारी की सह पर अवैध ईंट भट्टी धधक रहे हैं। वही जब इस विषय पर जिम्मेदार कोतमा राजस्व के अधिकारियों से फोन पर चर्चा करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने फोन उठाना उचित नहीं समझा।


कहना है -


वन भूमि पर एक अवैध भट्टा संचालित था जिस पर पी ओ आर काट कर कार्यवाही की गई है यदि वन भूमि में और ईट भट्टे अवैध रूप से संचालित है तो जांच कर निश्चित ही कारवाही कर बख्शा नहीं जायेगा।


रवि शंकर त्रिपाठी
प्रभारी रेंजर,वन परिक्षेत्र,कोतमा


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