तानाशाही के खिलाफ पत्रकार उतरे सड़क में
आज सुबह से भोपाल में भारी संख्या में शासन के बनाये गए नियमो व तानाशाही जांच के विरोध में सड़क पर बगावत पर उतरे पत्रकार सूत्रों के मुताबिक दस हजार से भी ज्यादा पत्रकार धीरे-धीरे अलग-अलग जिले व संभागो से इकट्ठे हुए है, जिसमे लगभग 4 पत्रकार संगठनों द्वारा विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है।
क्या है मुद्दा- मध्यप्रदेश शासन द्वारा संचालित पत्रकारिता विभाग जनसंपर्क संचनालाय द्वारा विज्ञापन पर रोक लगाकर सभी अखबार को जांच के कटघरे में खड़ा कर दिया है, और प्रत्येक जिलों में जांच कमेटी गठित करने के साथ ही जटिल नियमो को सभी प्रकाशकों की परेशानियों को बढ़ा दिया है।
क्यों उतरा पत्रकार सड़क में- देखने वाली बात यह है कि जब से नयी कमलनाथ सरकार आयी है, लगभग आधे से ज्यादा अखबारों को विज्ञापन सूची से बाहर कर चुका है, साथ ही अन्य बचे खुचे अखबारों को जबरन अपने नियमो को थोपकर बली चढ़ाने को उतारू है, देखने वाली बात यह भी है पुराने नियमावली के अनुसार आज भी विज्ञापन की राशि वही है जो पहले निर्धारित हुआ था, अब तो विज्ञापन भी देने में कुछ चहेते अखबार ही शामिल है, अब तो राष्ट्रीय पर्व में भी विज्ञापन देना भी जनसम्पर्क संचनालाय को गवारा नही रहा। और अन्य राज्यो में पत्रकार सुरक्षा एक्ट लागू है लेकिन मध्यप्रदेश में ऐसा कोई भी नियम है इसी का नतीजा यह है कि सरेआम पत्रकारों की निर्ममता से हत्यायें हो रही है। केवल सुरक्षा बीमा एक दिखावा- जनसम्पर्क संचनालाय द्वारा पत्रकार सुरक्षा बीमा एक दिखावा रह गया है क्यों कि बीमा लेने के लिए भी अच्छी खाशी रकम जमा करनी पड़ती है, जो सभी पत्रकारों के लिए संभव नही हो पायेगा।
कब तक पत्रकार बनेगा बागी - अनशनकारी पत्रकारों से बात करने पर यह बताया गया कि जब तक उनकी मांगों को पूरी नही की जाएगी, तब तक पत्रकार इसी प्रकार सड़क पर प्रदर्शन करता रहेगा, जरूरत पड़ने पर राष्ट्र व्यापी जन आंदोलन भी किए जाने की खुली चेतावनी दी गयी है।
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